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विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

भावार्थ: ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।

आई.बी. पाठ्यक्रम का मूल मंत्र है –  ऐसी शिक्षित युवा पीढ़ी का निर्माण करना जो कि आजीवन सीखने को लालायित रहे और विश्व शांति में अपनी भागीदारी निभाये क्योंकि यह आज  के समय की आवश्यकता है।  आज हम सब देख रहे कि विश्व में कुछ  देश सिर्फ़  स्वार्थी हो कर ऐसे-ऐसे कार्य कर रहे है जो कि दूसरे देशों के लिए क़तई हित में नहीं है । आई.बी. का जो मिशन स्टेटमेंट है इसे पढ़कर ही हमें यह ज्ञात होता है कि उनका दृष्टिकोण कितना व्यापक व प्रासंगिक हैं । ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ की भावना का संचार करता यह पाठ्यक्रम विद्यार्थी को खुले दृष्टिकोण वाला मानव बनाता है जो  सराहनीय है ।

डिप्लोमा पाठ्यक्रम ( कक्षा 11व 12 ) के छह समूह में  जिन विषयों का निर्धारण किया है बहुत ही अनुपम हैं क्योंकि इसमें विद्यार्थी अपने रुचि व जीवन लक्ष्य को ध्यान में रखकर विषयों का चयन कर सकता है जो कि इस पाठ्यक्रम की सुंदरता है । इस पाठ्यक्रम के जिसमें  विद्यार्थी  को अपनी पसंद की भाषा के साहित्य के अलावा दूसरे देशों के साहित्यकार द्वारा लिखे गए साहित्य (अनुवादित) को पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है जिससे छात्र स्वयं के देश – काल  व अन्य देश की संस्कृति, परिस्थिति व समाज में चल रही गतिविधियों को पढ़कर, जानकर तुलनात्मक अध्ययन करते है , समानता ढूँढते है और साहित्य को पढ़कर उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है और इससे  विद्यार्थी एक बेहतर  मनुष्य बनता है ।   समूह -2 में द्वितीय भाषा के रूप में जिस पाठ्यक्रम का निर्धारण किया गया है  – इसके अन्तर्गत ऐसे विषयों को चुना गया है जो विद्यार्थी के स्वयं के जीवन  से , समाज व विश्व से जुड़े हुए होते हैं । इसके अध्ययन से विद्यार्थी को  संतुलित व संवेदनशील मनुष्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है । समूह 3, 4, 5 व 6 में जो विषय है जो विद्यार्थी को विषय की माँग के अनुसार पाठ्यक्रम तो पढ़ाया जाता हैं।यहाँ पाठ्यक्रम को रटाया नहीं जाता बल्कि उसे तर्क की कसौटी पर कसा जाता है  ताकि  विद्यार्थी उस ज्ञान को अपने व्यवहारिक व व्यापारिक दोनों में उपयोग कर सके ।

विद्यार्थियों के ज्ञान के परख की  जो  प्रणाली है वह बिलकुल अनुपम है ।हर विषय की माँग के अनुसार आन्तरिक मूल्यांकन व बाह्य मूल्यांकन होता है जिससे विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा को दिखाने का उचित अवसर मिलता है । ज्ञान अर्जित करने के अलावा आई बी के विद्यार्थी को बहुमुखी प्रतिभा के धनी बनाने के लिए  उनके पाठ्यक्रम के  अनिवार्य अंग हैं – विस्तृत निबंध (EE),  ज्ञान का सिद्धांत (TOK)     व   (CAS) हैं ।EE के अन्तर्गत विद्यार्थी को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनकर इसके अन्तर्गत एक शोध प्रश्न पर अपना 4000 हज़ार शब्दों में निबंध लिखना होता है  – इस कार्य  को करने से  विद्यार्थी अल्पायु में शोधार्थी बन जाता है । TOK अर्थात् ज्ञान के निर्माण का सिद्धांत जिसके अन्तर्गत विद्यार्थी तर्क के आधार पर अपने ज्ञान की वृद्धि करता है । CAS अन्तर्गत  विद्यार्थियों को  अपनी रुचि के अनुसार रचनात्मक कार्य करना होता है ,समाज सेवा व पर्यावरण की रक्षा के सेवा कार्य व मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए  शारीरिक  गतिविधियों  को भी मुख्य स्थान दिया है ।

विद्यार्थियों को केंद्र में रख बनाया गया यह पाठ्यक्रम विद्यार्थी को एक बेहतर मनुष्य बनाता है। इससे विद्यार्थी एक ज़िम्मेदार नागरिक बनता है जिसमें समाज, देश और विश्व के हित में कार्य  करने की भावना जाग्रत होती हैं ।  आज के इस आधुनिक व तकनीकी  युग में  विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करने में आई.बी. पाठ्यक्रम अहम् भूमिका निभा रहा है और  आगे भी निभाता रहेगा क्योंकि किसी भी देश की नियति को उज्ज्वल बनाने के लिए शिक्षा रूपी नींव का मज़बूत होना अति आवश्यक है और यह भूमिका आई.बी. पाठ्यक्रम बख़ूबी निभा रहा है ।

2 Comments:

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